देख पिया! लाल चूनर ओढ़ तेरी राह तक रही हूँ! ख़्यालों में तुझे एकपल भी भूल ना पाई हर साँस में तुझे जी रही हूँ! मेरी बिंदिया काजल बह गए तेरे इंतज़ार में मैं फ़िर भी नही थक रही हूँ! तूने जो सजाया माथे पर ये लालरंग, हरपल मैं उसका लाज़ रख रहीं हूँ! 🌝प्रतियोगिता- 200🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"ख़्याल"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I