Nojoto: Largest Storytelling Platform

जाने कभी गुलाब लगती हे जाने कभी शबाब लगती हे तेरी

जाने कभी गुलाब लगती हे
जाने कभी शबाब लगती हे
तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे
में पिए रहु या न पिए रहु,
लड़खड़ाकर ही चलता हु
क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे

©Mohit Sharma mohit Sharma

#touchthesky
जाने कभी गुलाब लगती हे
जाने कभी शबाब लगती हे
तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे
में पिए रहु या न पिए रहु,
लड़खड़ाकर ही चलता हु
क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे

©Mohit Sharma mohit Sharma

#touchthesky
jojhajojha7623

Mohit Sharma

New Creator