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था मै नींद मे और मुझे इतना सजाया जा रहा था, बड़े प

था मै नींद मे और मुझे इतना सजाया जा रहा था,
बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था,
न जाने वो कौन सा अजब खेल मेरे घर, 
बच्चों के तरह मुझे कांधो पर उठाया जा रहा था,
जोर से रो-रो कर मुझे जगाया जा रहा था,
कांप उठी रूह वो मंजर देखकर,
जहा मुझे हमेशा-हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था

©RSRK MISHRA shayari  by RSRK
था मै नींद मे और मुझे इतना सजाया जा रहा था,
बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था,
न जाने वो कौन सा अजब खेल मेरे घर, 
बच्चों के तरह मुझे कांधो पर उठाया जा रहा था,
जोर से रो-रो कर मुझे जगाया जा रहा था,
कांप उठी रूह वो मंजर देखकर,
जहा मुझे हमेशा-हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था

©RSRK MISHRA shayari  by RSRK
ramkaranmishrami1368

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