था मै नींद मे और मुझे इतना सजाया जा रहा था, बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था, न जाने वो कौन सा अजब खेल मेरे घर, बच्चों के तरह मुझे कांधो पर उठाया जा रहा था, जोर से रो-रो कर मुझे जगाया जा रहा था, कांप उठी रूह वो मंजर देखकर, जहा मुझे हमेशा-हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था ©RSRK MISHRA shayari by RSRK