Nojoto: Largest Storytelling Platform

दुखों की बरसात से, भीगा पड़ा हूँ..... हो ना हो, मै

दुखों की बरसात से, भीगा पड़ा हूँ.....
हो ना हो, मैं ज़रूर पत्थर का बना हूँ.....

ना ही कहने को कुछ, ना ही आँखें नम....
ना ही कोई गिला शिकवा, ना ही कोई गम....

शिद्दत से उठाता जा रहा हूँ,  तेरा दिया हर बोझ....
चुप चाप चले ही जा रहा हूँ, बिना रूके हर रोज़....

या तो जीते जी, मैं पल- पल मरा हूँ.....
या हो ना हो, मैं ज़रूर पत्थर का बना हूँ.....

©Ruchika
  #childhood #poverty