Nojoto: Largest Storytelling Platform

#OpenPoetry अपनी क़लम से ख़ुदा का कलाम लिखता हूँ।

#OpenPoetry   अपनी क़लम से ख़ुदा का कलाम लिखता हूँ।
आप सभी दोस्तों को दुआ-सलाम लिखता हूँ।।

बचपन की वो सारी खुशियाँ जो मुझे नसीब हुई।
अब जवानी के सारे रंज-ओ-ग़म तमाम लिखता हूँ।।

जिस प्यारे से गाँव में गुज़रा है मेरा सारा बचपन।
वहाँ की मिट्टी, पीपल, सुबह-ओ-शाम लिखता हूँ।।

हसरत तो थी पूरी दुनियाँ को हासिल करने की।
पर अब अपनी सिमटी दुनियाँ-जहान लिखता हूँ।।

सज़ा मिली मुझे क्योंकि मैंने पत्थर को पत्थर कहा।
इसलिए अब इस ज़मीन को मैं आसमान लिखता हूँ।।

जीवन-पथ पर मिले सभी अपने भी, पराये भी।
उन सभी के सम्मान को मैं एक-समान लिखता हूँ।।

अब तो आरज़ू है उम्र भर जिनके साथ चलने की।
मैं उनकी हँसी और सभी मस्तियाँ तमाम लिखता हूँ।।

जिसके खोखले वादों में पूरी जनता बहक गई।
उस सियासत को चालाक, जनता को नादान लिखता हूँ।।

दम तोड़ रहे नौनिहालों पर भी जो मौन है, ओम।
उस गंदी सियासत का मैं काम-तमाम लिखता हूँ।। #OpenPoetry 
#अपनी कलम से... ✍
#OpenPoetry   अपनी क़लम से ख़ुदा का कलाम लिखता हूँ।
आप सभी दोस्तों को दुआ-सलाम लिखता हूँ।।

बचपन की वो सारी खुशियाँ जो मुझे नसीब हुई।
अब जवानी के सारे रंज-ओ-ग़म तमाम लिखता हूँ।।

जिस प्यारे से गाँव में गुज़रा है मेरा सारा बचपन।
वहाँ की मिट्टी, पीपल, सुबह-ओ-शाम लिखता हूँ।।

हसरत तो थी पूरी दुनियाँ को हासिल करने की।
पर अब अपनी सिमटी दुनियाँ-जहान लिखता हूँ।।

सज़ा मिली मुझे क्योंकि मैंने पत्थर को पत्थर कहा।
इसलिए अब इस ज़मीन को मैं आसमान लिखता हूँ।।

जीवन-पथ पर मिले सभी अपने भी, पराये भी।
उन सभी के सम्मान को मैं एक-समान लिखता हूँ।।

अब तो आरज़ू है उम्र भर जिनके साथ चलने की।
मैं उनकी हँसी और सभी मस्तियाँ तमाम लिखता हूँ।।

जिसके खोखले वादों में पूरी जनता बहक गई।
उस सियासत को चालाक, जनता को नादान लिखता हूँ।।

दम तोड़ रहे नौनिहालों पर भी जो मौन है, ओम।
उस गंदी सियासत का मैं काम-तमाम लिखता हूँ।। #OpenPoetry 
#अपनी कलम से... ✍

#OpenPoetry #अपनी कलम से... ✍