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प्रस्तुत है हास्य पदक🏅अवधेश के साथ गृहयुद्ध ----

प्रस्तुत है हास्य पदक🏅अवधेश के साथ

गृहयुद्ध
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1) भूल

एक दिन भूलवश तनिक विलंब हुआ
पूछा गया हमसे क्यों देर लगी आने में।
भूल गए हम उनका था आज जन्मदिन
दम नहीं रहा मेरे किसी भी बहाने में।
झूठ बोले बार बार अनुनय विनय कर
पर असमर्थ रहे उन्हें समझाने में।
पूरी तरह हमको समझ ये आ रहा था
देर नहीं तनिक है मार हमें खाने में।
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2) प्रहार

युद्ध हुआ जब गृह स्वामिनी से
हालत अपनी हुआ ख़राब।
बेलन चिमटा चम्मच बर्तन
फैंक के मारी और किताब।
अपनी रक्षा करने के लिए
हो रहे थे हम भी बेताब।
बच न सके और बदन पे पूरे
सूजन का हमें मिला ख़िताब।।
--------------------------------------

3) पूर्ण शरणागति

हम भी समर्पित हो गए
मानी अपनी हार।
कब तक झेलें बन्धु हम
तन पर कठिन प्रहार।।
मानी अपनी हार। #हास्य_व्यंग्य #laugh #comedy #poetry #poem #life #lifequotes 

प्रस्तुत है हास्य पदक©🏅अवधेश के साथ

गृहयुद्ध
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1) भूल
प्रस्तुत है हास्य पदक🏅अवधेश के साथ

गृहयुद्ध
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1) भूल

एक दिन भूलवश तनिक विलंब हुआ
पूछा गया हमसे क्यों देर लगी आने में।
भूल गए हम उनका था आज जन्मदिन
दम नहीं रहा मेरे किसी भी बहाने में।
झूठ बोले बार बार अनुनय विनय कर
पर असमर्थ रहे उन्हें समझाने में।
पूरी तरह हमको समझ ये आ रहा था
देर नहीं तनिक है मार हमें खाने में।
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2) प्रहार

युद्ध हुआ जब गृह स्वामिनी से
हालत अपनी हुआ ख़राब।
बेलन चिमटा चम्मच बर्तन
फैंक के मारी और किताब।
अपनी रक्षा करने के लिए
हो रहे थे हम भी बेताब।
बच न सके और बदन पे पूरे
सूजन का हमें मिला ख़िताब।।
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3) पूर्ण शरणागति

हम भी समर्पित हो गए
मानी अपनी हार।
कब तक झेलें बन्धु हम
तन पर कठिन प्रहार।।
मानी अपनी हार। #हास्य_व्यंग्य #laugh #comedy #poetry #poem #life #lifequotes 

प्रस्तुत है हास्य पदक©🏅अवधेश के साथ

गृहयुद्ध
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1) भूल