जिसकी बातों से खुशबू सी बिखर जाती थी उसकी बातों में तरन्नुम वो रवानी न रही जिंदगी अश्क में है घोल रही हर्फ मेरा और अब सोच रही है कि कहानी ना रही 🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹 बिना खोले पढ़ी गई, वो इक किताब हूँ मैं उसके पलको पे न ठहरा वही इक ख्वाब हूँ मैं जो सवाल समझने को एक सदी है लगी उसी सवाल का उलझा सा एक जवाब हूं मैं 🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹 मैं अपनी नज़्म में बहता हूँ ये हालात रहे