बातें मुझमें भी छुपी हैं उन्हें राज़ कैसे बनाऊं मोहब्बत तो मैंने भी की है तुझे मुमताज़ कैसे बनाऊं महल तो मैं भी तेरी यादों में बनाना चाहता था कारीगरों के हाथ ही कटवा दिए दूसरा ताज़ कैसे बनाऊं