मेरी दुनिया, मेरी जन्नत, मेरी मन्नत माँ पीड़ा पाकर मुस्काए जो, ऐसी होती माँ मेरा आंगन, मेरी गलियां, मेरी छत है माँ आंख खुली आंचल में जिसके, भोली भाली माँ मेरी सुबह, मेरी रतियां, मेरी लोरी माँ नेक रास्ते बतलाए जो, ऐसी होती माँ मेरी बतियां, मेरा हमदम, मेरी सखियाँ माँ हर पल आशा दिखलाए जो, ऐसी होती माँ मेरी दौलत, मेरा रुतबा, मेरी शोहरत माँ ईश्वर की मूरत के जैसी, होती जग में माँ ©कवि मनोज कुमार मंजू #माँ #मातृ_दिवस #MothersDay2021 #मनोज_कुमार_मंजू #मंजू