गलत वो ना था , गलत मेरी उम्मीदे थी शायद .. खफ़ा वो ना हुआ हमसे , खफ़ा खुदा था शायद .. कमियाँ उसमें ना थी , कमियाँ मुझमें ही थी शायद .. वक़्त खराब ना था , मुझे ही गलतफहमियां थी शायद .. मैंने उसे अपना समझा था , जिसने मुझे गैरो की तरह समझा था शायद .............................♡. रोऊँ या हंसू तेरी हरकत पे , या फिर तेरी तारीफ़ करू _____. तेरी जहर भरी उन आँखो की , मुझे चाल समझ मे ना आई___. वादों की लाशों को बोल कहाँ दफनाऊं , ख्वाबों और यादों से कैसे तुमको मिटाऊ ________. A∆CHU 🖤 MAKTUB 💈