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बातों बातों मे फिर युँ इश्क़ हो जाए, तुम रात लिखो

बातों बातों मे फिर युँ इश्क़ हो जाए, 
तुम रात लिखो तो भी सुबह हो जाए। 

मेरी मंज़िल और मुकद्दर एक हो जाए, 
तु लिखे इश्क़ और खुदा हो जाए। 

कभी बहार कभी बारिश हो जाए, 
हर मौसम बस तुझसा हो जाए। 

हर एक लफ्ज़ एक कहानी सा हो जाए, 
मेरी सख्शियत बस तेरी रूह बन जाए। 

कुबूल मुझे हर एक गुनाह हो जाए, 
सज़ा के तौर पे तुझसे महोब्बत हो जाए। 

इतना तेरा रहम ओ करम हो जाए, 
बस तेरे नाम से मुझे जन्नत नसीब हो जाए।

©roohaniyat_pal
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