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पल्लव की डायरी अनवरत श्रंखला है विचारों और भावो की

पल्लव की डायरी
अनवरत श्रंखला है विचारों और भावो की
ब्रह्मांडो में सतत विराजमान रहती है
जैसी रश्मियां सम्पर्क करती 
अधीन सब कर्मो के होते होते है
शुभ अशुभ की परिणति लेकर
काल चक्र जन्म मरण का पूरा करते रहते है
ये भटकन ही तो संसार है
इससे बचने के लिये योगी
इच्छाओं का दमन करते है
शाश्वत मोक्ष की इच्छा के लिये
मोह की वैतरणी पार करते है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
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