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विश्वास की चमक नफरत के आगे फिका न हो जाये वृंदा

 विश्वास की चमक 
नफरत के आगे फिका न हो जाये 
वृंदावन में हूं 
आ जाओ राधा बन तुम 
कहीं ये वियोग 
इस मनचले आशिक को शायर न बना जाये उस अतुल्यनीय विश्वास की कमजोर कढ़ी न हो जाये ,
आ जाओ अब मेरे कान्हा कही एक और घड़ी यूँ ही व्यथा व्यतीत न हो जाये।।

इस हृदय में शेष जो ममत्व है कही व्यर्थ व्यथा मे न बह जाये,
आ जाओ अब मेरे कान्हा कही एक घड़ी यूँ ही व्यर्थ व्यतीत न हो जाये।।

हर क्षण में ये प्रलाप है मन साफ़ है दिल साफ़ है अब अन्याय कही न हो जाये,
आ जाओ अब मेरे कान्हा कही एक और घड़ी यूँ ही व्यथा व्यतीत न हो जाये।।
 विश्वास की चमक 
नफरत के आगे फिका न हो जाये 
वृंदावन में हूं 
आ जाओ राधा बन तुम 
कहीं ये वियोग 
इस मनचले आशिक को शायर न बना जाये उस अतुल्यनीय विश्वास की कमजोर कढ़ी न हो जाये ,
आ जाओ अब मेरे कान्हा कही एक और घड़ी यूँ ही व्यथा व्यतीत न हो जाये।।

इस हृदय में शेष जो ममत्व है कही व्यर्थ व्यथा मे न बह जाये,
आ जाओ अब मेरे कान्हा कही एक घड़ी यूँ ही व्यर्थ व्यतीत न हो जाये।।

हर क्षण में ये प्रलाप है मन साफ़ है दिल साफ़ है अब अन्याय कही न हो जाये,
आ जाओ अब मेरे कान्हा कही एक और घड़ी यूँ ही व्यथा व्यतीत न हो जाये।।
kunalkarn5063

Author kunal

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