क्या बताऊँ लफ्ज जुबा मे बंद से हो गए हैं जो था सपनो में देखा वो आ जाये हकीकत में सामने तो बताऊँ खामोश सी निगाहो में कुछ तस्वीर उभर आये तो बताऊँ बाते तो बहुत है पर उन बातो में एहसास आ जाये तो बताऊँ शांत है मन इस शांति में सुकून आ जाये तो बताऊँ सूरज ढल रहा है चाँद निकल रहा है गर इनके बीच शाम आ जाये तो बताऊँ लफ्ज जुबा मे बंद से हो गए हैं ये जुबा खुल जाये तो बताऊँ