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शहर का ठाठ-बाट भी धुंधला सा। गांव का घाट-घाट भी उज

शहर का ठाठ-बाट भी धुंधला सा।
गांव का घाट-घाट भी उजला सा।।

शहर तेरी भीड़ मेें तन्हाई से झुलसा।।
गांव तेरी भीड़ मेें मल्हार भी सुलझा।।

भीगी पलको मेें शहर-शहर ठहरा।
भीगी पलको पर ना मां-बाप पहरा।।

गांव का हर किस्सा पुकारता मुझे।
शहर का हर हिस्सा पुकारता मुझे।।

बीती यादों मेें न बित जाये गांव मेरा।
बीती हर शाम मेें याद आये गांव मेरा।। #गांव #गांव_की_मिट्टी #गांव_की_मिट्टी
#गांव_की_यादें #quotedidi #कविता #quote
शहर का ठाठ-बाट भी धुंधला सा।
गांव का घाट-घाट भी उजला सा।।

शहर तेरी भीड़ मेें तन्हाई से झुलसा।।
गांव तेरी भीड़ मेें मल्हार भी सुलझा।।

भीगी पलको मेें शहर-शहर ठहरा।
भीगी पलको पर ना मां-बाप पहरा।।

गांव का हर किस्सा पुकारता मुझे।
शहर का हर हिस्सा पुकारता मुझे।।

बीती यादों मेें न बित जाये गांव मेरा।
बीती हर शाम मेें याद आये गांव मेरा।। #गांव #गांव_की_मिट्टी #गांव_की_मिट्टी
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