टूट चुके हों सपनें जिनके, मैनें उनको देखा है। रातों में जग कर के उनको, छुपकर रोते देखा है। उनके अपने परेसान न हों, वो रोकर भी हंस लेते हैं, मैनें उन चेहरों के, पीछे लाचारी को देखा है।। एक पिता बच्चों के खातिर, मजदूरी और काम करे। माँ भी लालन-पालन में, अपना जीवन पूरा दान करे। बस इतनी ख्वाहिस होती है, बच्चे उनके पढे लिखें, नेक राह पर कदम बढाकर, जग मे उनका नाम करे। इतने पर भी जब बच्चे, खरे ना उतरें वादों पर तब पानी है फिर जाता, उनके सभी इरादों पर।। कुछ की संगति बिगड़ गयी, दारू सिगार वो पी लेंगे। कुछ कहते हैं पापा जी हम इश्क के दम पर जी लेंगे। ये सुनकर माँ-बाप की आंखोँ में आँशू भर आता। भविष्य सोंचकर बच्चे का, उनका जी घबराता है।। आज के बच्चे😥😓 #shayari #quotes #yqdidi #nojoto #adityawrites विकास कुमार Vikash Srivastava "बेख़बर ✍️w_vishwakarma पंडित नरेन्द्र द्विवेदी 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)