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नफ़रत हां नफरत सी है मुझे उस शख्सियत से जो दिल को च

नफ़रत हां नफरत सी है मुझे उस शख्सियत से
जो दिल को चुभी कोई बात कह नहीं पाते 
कह नहीं पाते लेकिन भूल भी नहीं पाते 
भूल नहीं पाते तो माफ कर आगे बढ़ भी नहीं पाते
लेकिन फिर भी कभी कह नहीं पाते 
हां नफरत सी है मुझे उस शख्सियत से 
जो लिए मुखौटा मुस्कान का ढोंग सा रचाते है।
हो यकीन सबको ऐसा खेल खेल जाते है
जब हो इस यकीन पर एतबार किसीको तो
बीच मझदार में वो छोड़ चले जाते है
लेकिन कम्भख्त वो मन की चुभन को 
कभी कह नहीं पाते हैं 
हां नफरत सी है मुझे उस शख्सियत से 
जो सच कभी कह नहीं पाते।

©Yogi๏_๏
  #नफ़रत  Anshu writer Rajeev Gupta –Varsha Shukla Satya SURAJ PAL SINGH