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मैं ऐसा ही हूँ ********** कि हूँ मैं राम का वंसज स

मैं ऐसा ही हूँ
**********
कि हूँ मैं राम का वंसज
सदा आबाद रहता हूँ
खुदा दिल मे बसाकर मैं
तुम्हे आदाब कहता हूँ

कभी तेरा जो दिल चाहे 
जरा आके परख लेना
हूँ पारस बोल भी दूँ,मैं क्या
कनक बनके सहज लेना।

कभी मैं,मौन गुमसुम हूँ
कभी तांडव हूँ, मैं शिव का
कभी मैं शोर नीरव का
कभी प्रखर मैं धीरज का

उबलता हूँ मैं दरिया सा
जहां में नेकनीयत ले
डूबोया कब किसे खुद में
ख़ुदाया बनके मैं गुजरा

महज एक छंद जैसा हूँ
गाओ या भुला दो तुम
ढूंढना खुद में मुझको तुम
वहीं हरदम मेरा डेरा।।

दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #Health #my poem #alfaz #hindi #kawita
मैं ऐसा ही हूँ
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कि हूँ मैं राम का वंसज
सदा आबाद रहता हूँ
खुदा दिल मे बसाकर मैं
तुम्हे आदाब कहता हूँ

कभी तेरा जो दिल चाहे 
जरा आके परख लेना
हूँ पारस बोल भी दूँ,मैं क्या
कनक बनके सहज लेना।

कभी मैं,मौन गुमसुम हूँ
कभी तांडव हूँ, मैं शिव का
कभी मैं शोर नीरव का
कभी प्रखर मैं धीरज का

उबलता हूँ मैं दरिया सा
जहां में नेकनीयत ले
डूबोया कब किसे खुद में
ख़ुदाया बनके मैं गुजरा

महज एक छंद जैसा हूँ
गाओ या भुला दो तुम
ढूंढना खुद में मुझको तुम
वहीं हरदम मेरा डेरा।।

दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #Health #my poem #alfaz #hindi #kawita