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आज फिर तुम मेरे सपने में आयी थी बाते क्या हुई पता

आज फिर तुम मेरे सपने में आयी थी
 बाते क्या हुई पता नहीं पर
 थोड़ा मंद मंद मुस्कुराई थी 
और कोई भी था साथ में तुम्हारे
 इसलिए थोड़ा दूर दूर थे वरना 
गले लगने की इच्छा हमने भी जताई थी B@++
आज फिर तुम मेरे सपने में आयी थी
 बाते क्या हुई पता नहीं पर
 थोड़ा मंद मंद मुस्कुराई थी 
और कोई भी था साथ में तुम्हारे
 इसलिए थोड़ा दूर दूर थे वरना 
गले लगने की इच्छा हमने भी जताई थी B@++