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मोतियों का नगर तो समुन्द्र मे समा चुका हैँ बहु

मोतियों का नगर तो 
समुन्द्र मे   समा चुका हैँ  बहुत  पहले. और अब तो  अपना नगर भी  नदारद हैँ
शायद उसे भी  किसी सुनामी ने आकर 
निगल लिया हैँ

मेरी कोई भी  राह  कारगर  नहीं  दिखती
और अब मेरी  आह मे भी कोई  असर  दिखता नहीं.
अब तो बस  लगता हैँ  तेरी  बेरुखी ने  मेरी सारी. खुशियाँ को जैसे  हथिया  लिया हैँ

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  मोतियों का नगर
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मोतियों का नगर #कविता

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