वित्त मंत्री निर्मल सीताराम द्वारा केंद्र बजट पेश करने में अब कुछ हफ्ते बचे हैं इस वक्त अर्थव्यवस्था की दिशा कुछ मिनी मिलिशिया जहां सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में एक उछाल आया वहीं निजी उपभोग का हिस्सा पूर्व कोविड-19 महामारी की तुलना में अभी 3% कम है इस तरह उपभोक्ता विश्वास सूचकांक में बेहतरीन के बावजूद उपभोक्ताओं का भरोसा डबल रोल है 2020 में आई इस महामारी की पहली लहर की चपेट में ध्वस्त हो गए रोजगार और निवेदन पहली गई गरीब और कांटों से हम पूरी तरह निकले भी नहीं पाए थे कि दूसरी लहर के विवेचक ने 2021 में सब कुछ ऑटोमेटिक कर दिया पहली बार में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग अधिक प्रभावित हुआ और ऐसे में ही जरूरी हो जाता है कि आम बजट ना केवल महामारी की तीसरी लहर से निपटने की सारी तैयारी बल्कि इसकी पहली दो लहरें की आर्थिक मार का जायजा लेकर उसके निदान के लिए संभव उपयोग को प्रभावित कर दिए भारत में कोविड-19 लहरों के बीच लगभग 2 महीने जून 2020 से फरवरी 2021 का अंतराल में फरवरी से अप्रैल 2020 तक व्यक्ति आमदनी आमदनी में भी बढ़ोतरी हो गया जहां पर पहली लहर का असर शहरी इलाकों पर ज्यादा था वहीं दूसरी लहर ने ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा भारत के सभी परिवारों की महामारी के पहले और फिर बाद की हालत है कि हम तुलना करें तो पाते हैं कि पहली लहर के दौरान अमीर घरों की तुलना में गरीब घरों की आय में अधिक गिरावट आई है ©Ek villain # आम आदमी पर महामारी का असर #Love