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कितना अनोखा सा हैं ना नाता हमारा , मैं घंटो गज़ल

कितना अनोखा  सा हैं ना 
नाता हमारा , मैं घंटो 
गज़ले पढ़ता हुँ और 
तुम चुपचाप सुन लेती 
हो

बस अंतर  अब इतना है 
की तुम्हारी कब्र तुमसी 
मेहेकती नहीं #her #love #separation
कितना अनोखा  सा हैं ना 
नाता हमारा , मैं घंटो 
गज़ले पढ़ता हुँ और 
तुम चुपचाप सुन लेती 
हो

बस अंतर  अब इतना है 
की तुम्हारी कब्र तुमसी 
मेहेकती नहीं #her #love #separation