क्या कहें उस दिल फ़रेब को जिसे अपने भी लगने लगे ग़ैर! ये ना समझना मर जाएँगे हम ज़िंदा लाश नहीं बनेंगे तेरे बग़ैर! साँसों का कारवाँ चलता रहता है मरता नहीं कोई किसी के बग़ैर! तेरे चले जाने का क्या ग़म करूँ जो हुआ सो हुआ ख़ुदाया ख़ैर! बीती बातें भूल आगे बढ़ गए हम गिले शिकवे ख़त्म! क्यूँ रखना बैर! इतना तो तय है बहुत याद आएँगे पछताओगे वो अलग बात है ख़ैर! क्या कहें उस दिल फ़रेब को जिसे अपने भी लगने लगे ग़ैर! ये ना समझना मर जाएँगे हम ज़िंदा लाश नहीं बनेंगे तेरे बग़ैर! साँसों का कारवाँ चलता रहता है मरता नहीं कोई किसी के बग़ैर!