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“सख़्त ज़रूरत है” क्यों आसमां में तैर रहा, बस धुआँ

“सख़्त ज़रूरत है”

क्यों आसमां में तैर रहा, बस धुआँ ही धुआँ है,
नीले गहरे अम्बर की, अब सख्त ज़रूरत है,
क्यों तड़क रही धरती, सूखे सूखे से कुँए है,
भीगी भीगी बारिश की, अब सख्त ज़रूरत है 		[5]

क्यों वक़्त नहीं खाने का, दौलत की भूख है,

“सख़्त ज़रूरत है” क्यों आसमां में तैर रहा, बस धुआँ ही धुआँ है, नीले गहरे अम्बर की, अब सख्त ज़रूरत है, क्यों तड़क रही धरती, सूखे सूखे से कुँए है, भीगी भीगी बारिश की, अब सख्त ज़रूरत है [5] क्यों वक़्त नहीं खाने का, दौलत की भूख है, #कविता

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