कर लेते है हर किरदार हरा चलो सींच कर इन बूंदों से इस बरसात , वो कागज की मेरी तैरती कश्ती तेरी कश्ती से करती थी मुलाकात, कपड़े भीगे जिस्म भीगे सब भीगे पर जरूरी है कि भीगे हर जज्बात, खूबसूरत सा बचपन इन्हीं बूंदों से सींच सींच बढ़े जो सारे दिन सारी रात, चल भीगते हैं फिर से जैसे पहले भीगे थे करते हैं चाय संग फिर से वही बात, आओ भीगे बारिश में झूम झूम फिर पूरी कर लेते हैं सब बिसात...😊 सुप्रभात। मानसून आ गया है। इसका स्वागत दोस्तों के साथ मिलकर किया जाता है। बचपन की यादों को फिर से ताज़ा करें। ये मौसम जियें। #आओभीगें #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #बारिश #wordporn