हे कामिनी! हजारों दफा मैनें देखा है, जाना है, महसूस किया है, बिल्कुल एक फूल की जैसी हो तुम। मिलता है जब तुम्हें यथोचित सम्मान और प्यार , तो खिल जाती हो तुम , एक महकती पुष्प की तरह । पहुँचाता है जब कोई तेरे मन को बहुत बड़ी ठेस तब मुरझा जाती हो तुम ,एक कांतिहीन पुष्प की तरह। मिलता है जब तुम्हें कांटों से भरा -पूरा घर - परिवार और समाज , तब बचाती हो अपने अस्तित्व को बहुत ही सरलता और सहजता के साथ , सुगंधित गुलाब की तरह । देखता है जब कोई तुम्हें ओछी निगाहों से , तब जल उठती हो तुम , प्रचंड धूप के तेज में एक सूखे पुष्प की तरह। आती है बात जब अपने पुराने अस्तित्व को भूला दो परिवारों को मिलाने की , तब अपने संर्पूण दर्द को भूला हमेशा से खुशी- खुशी उत्तम माध्यम बन जाती हो एक फूल के जैसे। हे वनिता! सचमुच में तुम बहुत ही धन्य हो , जो सर्वदा ही एक फूल के जैसी हो तुम । — Arti Kumari Athghara ✍✍ — 💗💗Aparajeeta 💗💗 #nojotopoetr #nojoto❤ #nojotooriginals #Artikri #nojotohindi