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याद है आज भी वोह धुन जो मुझे पसंद है जब भी बजती

याद है  आज भी वोह धुन 
जो  मुझे पसंद है
जब भी बजती है वोह धुन 
मेरे चेहरे की उदासी चलीं जाती हैं
ऐसा लगता है जैसे ग़म तों थाही नहीं
हवा की तरह आया ग़म ओर चला गया
जैसे नदी में पड़ा पत्थर
ओर बहेते पानी की तरह मेरा ग़म
वोह धुन मेरे दिल के पास थी
मेरे जीने कि वजह थी

©Anita Najrubhai
  #धुन