तारीख़ों का अधिवेशन (पूरी कविता अनुशीर्षक में) तारीख़ों के अधिवेशन में, सब चिल्ला चिल्ला बोल रहे थे, कोई कारगिल की था जीत गिनाता, तो कोई शिमला का गीत था गाता। कोई पोखरन से खुश हो जाता, तो कोई कल्पना का नाम सुनाता।