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बीता बचपन, खाली जेबें, गलियां वो सुनसान हुई, आज जव

बीता बचपन, खाली जेबें, गलियां वो सुनसान हुई,
आज जवानी में हम लौटे, मिलके वो अनजान हुई,
कि ढाई आखर प्रेम का कभी मैंने बोला था जिसको,
यादों की वो चिड़िया बैठी पल भर में मेहमान हुई!

©सौरभ कुमार "गाँगुली" #galiyaan #missing_her
बीता बचपन, खाली जेबें, गलियां वो सुनसान हुई,
आज जवानी में हम लौटे, मिलके वो अनजान हुई,
कि ढाई आखर प्रेम का कभी मैंने बोला था जिसको,
यादों की वो चिड़िया बैठी पल भर में मेहमान हुई!

©सौरभ कुमार "गाँगुली" #galiyaan #missing_her