मुझे बहुत प्रिय था, वह गुलाब जो आँगन में खिला था, सुर्ख लाल आभा लिए उसका इतराना, सूरज के आलोक से उसका खिल जाना, फूलों की बगिया का उसकी खुशबू से महक जाना, मुझे बहुत प्रिय था, पर काल पर बस किसका चलता है, मुरझाना निश्चित है उसका जो जन्म लेता है, 'नेह' का बन्धन भी न रोक सका उसका जाना, हाँ मुझे बहुत प्रिय था उसका आना। नए गुलाबों को देखकर उसकी याद आना, बगिया का फिर से महक जाना। मुझे बहुत प्रिय था #प्रियथा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #drnehagoswami