इक बाप बच्चे को, चलना सिखा रहा था दुनिया की धूप में तपना और जलना सिखा रहा था उमर ढल रही थी उस बाप की फिर भी हर मोड़ पर अपने अनुभवों का आईना दिखा रहा था। ©SHIVAM TOMAR "सागर"