दिखावे की जिंदगी में दिन में कहां चैन है, तनहाई समेटे गले लगाती बस रैन है, ख़ुद की खुशियों को समेटने में सब जुटी है, साथ देने रात की बाहें खुली है। दिन में जब सूरज सर पर खड़ा होता है, मन भीतर के भावों को समेटने पर अड़ा होता है, चांद चढ़ते ही जो घावों की परत उजड़ी है, तो मलहम को रात की बाहें खुली है। दिन में लोगों से लाख उपहास उड़ाते नजर आते हम, जब मन खुश ही नहीं है तो क्या खुशियां बाटे हम, शायद मेरे कर्मो से लगता रिश्तों में आ गई दूरी है, चंद फरमाइशों को जगाने रात की बाहें खुली है। ऐसी हालत है की चुपचाप सिसक रोता हूं, बस ऐसा ही बोझ अब हर रोज ढोता हूं, खुशियां अपनी मैंने अपने ही आंखों से धुली है, की मेरा साथ निभाने रात की बाहें खुली है। #रातकाअफ़साना #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqdidi #yqbaba #yqansu #yqbhaskar