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मैं भी अपने भाई की बहुत प्यारी सी छुटकी थी। चाहत



मैं भी अपने भाई की बहुत प्यारी सी छुटकी थी।
चाहती थी सबसे ज्यादा बहुत प्यार करती थी।

जोड़- जोड़ कर पैसा राखी खरीद कर लाती थी।
मीठा ना ला पाती तो घर में खुद ही बनाती थी।

भैया को मेरे हाथ की रसगुल्ला रबड़ी भाती थी। 
भाई को खुश करने की खातिर चॉकलेट भी लाती थी।

भाई उपहार लाता था देख कर खुश हो जाती थी।
सारी चीजें मेरी ही पसंद की तो आनी होती थी।

आते ही रक्षाबंधन का त्यौहार बहुत खुश हो जाती थी।
बांधती थी खुश होकर राखी और झूम झूम के गाती थी।

-"Ek Soch"



 🎀 Challenge-284 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ 🎀

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।


मैं भी अपने भाई की बहुत प्यारी सी छुटकी थी।
चाहती थी सबसे ज्यादा बहुत प्यार करती थी।

जोड़- जोड़ कर पैसा राखी खरीद कर लाती थी।
मीठा ना ला पाती तो घर में खुद ही बनाती थी।

भैया को मेरे हाथ की रसगुल्ला रबड़ी भाती थी। 
भाई को खुश करने की खातिर चॉकलेट भी लाती थी।

भाई उपहार लाता था देख कर खुश हो जाती थी।
सारी चीजें मेरी ही पसंद की तो आनी होती थी।

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बांधती थी खुश होकर राखी और झूम झूम के गाती थी।

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