Vivekananda Jayanti लबों की मुस्कुराहट जो मधुर मकरंद हो जाये, प्रतिक्षण ज़िंदगी का फिर यहाँ आनंद हो जाये, तुम अपनी ज़िंदगी ऐसे जिओ मेरे वतन वालों, प्रभावित हो युवा तुमसे विवेकानंद हो जाये। ©Krishan Gopal Solanki #VivekanandaJayanti