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नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल लिखता हूँ, तेरे

नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल लिखता हूँ,
तेरे होंठो की लर्जीश पर मैं हर सुर ताल लिखता हूँ।
तेरी आँखों के झीलों में है मेरे इश्क़ के आंसू,
तो जानेमन मैं तेरे नाम ये भोपाल लिखता हूँ। भोपाल
नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल लिखता हूँ,
तेरे होंठो की लर्जीश पर मैं हर सुर ताल लिखता हूँ।
तेरी आँखों के झीलों में है मेरे इश्क़ के आंसू,
तो जानेमन मैं तेरे नाम ये भोपाल लिखता हूँ। भोपाल
uttammishra8721

Uttam Mishra

New Creator

भोपाल