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Alone स्याही सुबूत देता भी क्या मैं, अपने बेगुना

Alone  स्याही

सुबूत देता भी क्या मैं,
अपने बेगुनाही का।
उनका इरादा था देखना मंज़र,
जब मेरे तबाही का ।।

वक़्त रक़ीबों का था आया,
और मेरा लद चुका था।
कीमत ख़ाक की रही,
मेरे हर इक गवाही का।।

ऐतिहात ज़रूरी है हर कदम
राह ए इश्क़ में "अनुभव"।
नतीजा खूब देखा है मैंने ,
इश्क़ में लापरवाही का ।।

उन्हें लम्हा न लगा मेरा,
दामन दागदार करने में।
मैं अर्सों से मिटा रहा हूँ,
तारीकी उस स्याही का।।

....✍️ बेनाम आदीम

© Deepak Sharma #स्याही
Alone  स्याही

सुबूत देता भी क्या मैं,
अपने बेगुनाही का।
उनका इरादा था देखना मंज़र,
जब मेरे तबाही का ।।

वक़्त रक़ीबों का था आया,
और मेरा लद चुका था।
कीमत ख़ाक की रही,
मेरे हर इक गवाही का।।

ऐतिहात ज़रूरी है हर कदम
राह ए इश्क़ में "अनुभव"।
नतीजा खूब देखा है मैंने ,
इश्क़ में लापरवाही का ।।

उन्हें लम्हा न लगा मेरा,
दामन दागदार करने में।
मैं अर्सों से मिटा रहा हूँ,
तारीकी उस स्याही का।।

....✍️ बेनाम आदीम

© Deepak Sharma #स्याही