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लिखूंगा तेरी याद में दिन रात मुसलसल हर लफ्ज़ खुद

लिखूंगा तेरी याद में दिन रात  मुसलसल
हर लफ्ज़ खुद करेगें तुझे याद मुसलसल

होगी  ये  मेहरबानी  मुझे   इतना  बता  दे
बस्ती है तुझी में क्यों मेरी जात मुसलसल

बस इसके  शिवा  आरजू   कुछ  भी  नहीं  मेरी
जब तक है दम में दम हो  तेरा  साथ मुसलसल 


 मुसलसल
लिखूंगा तेरी याद में दिन रात  मुसलसल
हर लफ्ज़ खुद करेगें तुझे याद मुसलसल

होगी  ये  मेहरबानी  मुझे   इतना  बता  दे
बस्ती है तुझी में क्यों मेरी जात मुसलसल

बस इसके  शिवा  आरजू   कुछ  भी  नहीं  मेरी
जब तक है दम में दम हो  तेरा  साथ मुसलसल 


 मुसलसल

मुसलसल