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यह समाज नहीं जानता है वेदनाएं हमारी......!! मतल

यह समाज  नहीं  जानता है  वेदनाएं हमारी......!!
मतलब  कहाँ  की कैसी है  भावनाएं हमारी......!!

व्यर्थ ही जाने देते हैं अपने इन व्यवहारों में
सभ्यताएं  शामिल कहाँ है अब संस्कारों में 
सच के लिए जो मैंने मुँह खोला है तो फिर 
सभी गिनने लगते है मुझको ये आवारों में
उनके ही मुताबिक चलूँ तो ही भले हैं जैसे
समाज के कर्जदार हो गई  कामनाएं हमारी....!!

अपना हक मैं माँगूँ तो  भी  यहाँ किस से 
निराशा ही मिलती है मैं माँगूँ भी जिस से 
आज के सफेदपोशों को जो सत्ता मिली
खुद नहीं भरता तो  क्या माँगूँ मैं उस से 
सब कुछ  देख कर  भी हम स्तब्ध हो जाते
फिर अधूरी ही रह जाती आराधनाएं हमारी....!!

अनभिज्ञ हूँ मैं अभी इसका मुझे ज्ञान नहीं है 
समाज के सही दृष्टिकोण की पहचान नहीं है 
जन्म से ले कर अब तक मैंने  यही तो सीखा 
उनके नज़र में सच्चाई का भी सम्मान नहीं है
किस किस को बुरा कहूँ कौन है यहाँ अपना
इसलिए गड़बड़ा सी जाती है गणनाएं हमारी....!!

©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत 
#कुंदन_नज़्म
यह समाज  नहीं  जानता है  वेदनाएं हमारी......!!
मतलब  कहाँ  की कैसी है  भावनाएं हमारी......!!

व्यर्थ ही जाने देते हैं अपने इन व्यवहारों में
सभ्यताएं  शामिल कहाँ है अब संस्कारों में 
सच के लिए जो मैंने मुँह खोला है तो फिर 
सभी गिनने लगते है मुझको ये आवारों में
उनके ही मुताबिक चलूँ तो ही भले हैं जैसे
समाज के कर्जदार हो गई  कामनाएं हमारी....!!

अपना हक मैं माँगूँ तो  भी  यहाँ किस से 
निराशा ही मिलती है मैं माँगूँ भी जिस से 
आज के सफेदपोशों को जो सत्ता मिली
खुद नहीं भरता तो  क्या माँगूँ मैं उस से 
सब कुछ  देख कर  भी हम स्तब्ध हो जाते
फिर अधूरी ही रह जाती आराधनाएं हमारी....!!

अनभिज्ञ हूँ मैं अभी इसका मुझे ज्ञान नहीं है 
समाज के सही दृष्टिकोण की पहचान नहीं है 
जन्म से ले कर अब तक मैंने  यही तो सीखा 
उनके नज़र में सच्चाई का भी सम्मान नहीं है
किस किस को बुरा कहूँ कौन है यहाँ अपना
इसलिए गड़बड़ा सी जाती है गणनाएं हमारी....!!

©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत 
#कुंदन_नज़्म