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यह रही हक़ीक़त सामने, बस इतना याद रख लेना, जो दर्द

यह रही हक़ीक़त सामने, बस इतना याद रख लेना,
जो दर्द दिया तुमने इस माटी को वो ज़रा तुम भी चख लेना।

फिर पता चलेगा कि तुम्हारी भारत मा कितना बोझ उठाती है,
मगर यह बात न जाने क्यों इन दंगाइयों को समझ न आती है?

जब महिलाएं भी निकल पड़े हाथ में लेकर पत्थर,
समझ लेना क्या है खुद का इस मुल्क का मुकद्दर।

अगर तुम्हे करना है विरोध तो खूब करो मगर शांति से,
कुछ भी नहीं मिलने वाला ऐसी दहशतगर्दी अशांति से। No offence please....
अब कितने और शाहीन बाग़ इस देश में और बनाओगे भाई। 
कुछ मुख्य बिंदु पर अपनी बात रखूंगा...

1) कल तथाकथित शांतिदूतों द्वारा जाफराबाद दिल्ली को नया शाहीन बाग़ बनाने की कोशिश हुई। जिसे वहां के लोगो ने (जो कि इस बात से वाकिफ थे कि शाहीन बाग़ में रहने वालो को ना जाने कितनी दिक्कत सामना करना पड़ रहा है) ने नाकाम कर दिया जिससे वो सी ए ए विरोधी हिंसा पर उतर आए तो दंगा अराजकता कि स्थिति बनी।

अब सवाल यह है कि क्यों आप कई सरकारी संपत्ति पर कब्ज़ा कर विरोध करना चाहते है। आपका विरोध करना आपका हक है लेकिन मगर दूसरो के बाकी हक को क्यों छीन रहे है।
यह रही हक़ीक़त सामने, बस इतना याद रख लेना,
जो दर्द दिया तुमने इस माटी को वो ज़रा तुम भी चख लेना।

फिर पता चलेगा कि तुम्हारी भारत मा कितना बोझ उठाती है,
मगर यह बात न जाने क्यों इन दंगाइयों को समझ न आती है?

जब महिलाएं भी निकल पड़े हाथ में लेकर पत्थर,
समझ लेना क्या है खुद का इस मुल्क का मुकद्दर।

अगर तुम्हे करना है विरोध तो खूब करो मगर शांति से,
कुछ भी नहीं मिलने वाला ऐसी दहशतगर्दी अशांति से। No offence please....
अब कितने और शाहीन बाग़ इस देश में और बनाओगे भाई। 
कुछ मुख्य बिंदु पर अपनी बात रखूंगा...

1) कल तथाकथित शांतिदूतों द्वारा जाफराबाद दिल्ली को नया शाहीन बाग़ बनाने की कोशिश हुई। जिसे वहां के लोगो ने (जो कि इस बात से वाकिफ थे कि शाहीन बाग़ में रहने वालो को ना जाने कितनी दिक्कत सामना करना पड़ रहा है) ने नाकाम कर दिया जिससे वो सी ए ए विरोधी हिंसा पर उतर आए तो दंगा अराजकता कि स्थिति बनी।

अब सवाल यह है कि क्यों आप कई सरकारी संपत्ति पर कब्ज़ा कर विरोध करना चाहते है। आपका विरोध करना आपका हक है लेकिन मगर दूसरो के बाकी हक को क्यों छीन रहे है।