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है आरज़ू-ए-दिल कि कोई ग़मगुसार हो। मिल जाए वो हबी

है आरज़ू-ए-दिल कि कोई ग़मगुसार हो। 
मिल जाए वो हबीब जिसे हमसे प्यार हो। 

इक बूंद से बुझेगी न बरसों की प्यास है 
चश्म-ए-सनम में प्यार हो तो बेशुमार हो। 

महिवाल फिर से देखता रस्ता चनाब पे
दरिया ये सोहनी तेरा इस बार पार हो। 

धागा हमारे इश्क़ का तो रेशमी रहा 
कह दो सुई से जाके वो भी धारदार हो। 

ये प्रेम का नगर है यहां हादसे बड़े 
पी लेंगे ज़हर-ए-इश्क़ भी गर ऐतबार हो। #प्रेम का नगर❤
है आरज़ू-ए-दिल कि कोई ग़मगुसार हो। 
मिल जाए वो हबीब जिसे हमसे प्यार हो। 

इक बूंद से बुझेगी न बरसों की प्यास है 
चश्म-ए-सनम में प्यार हो तो बेशुमार हो। 

महिवाल फिर से देखता रस्ता चनाब पे
दरिया ये सोहनी तेरा इस बार पार हो। 

धागा हमारे इश्क़ का तो रेशमी रहा 
कह दो सुई से जाके वो भी धारदार हो। 

ये प्रेम का नगर है यहां हादसे बड़े 
पी लेंगे ज़हर-ए-इश्क़ भी गर ऐतबार हो। #प्रेम का नगर❤