तुमने सनम हमें नज़राना इश्क़ का नायाब दिया है गर्म बोसे के इनाम को एक महकता गुलाब किया है तेरी सोहबत में हुस्न-ओ-नूर का ज़र्रा ज़र्रा भी संवरें तेरे लम्स ने मेरे रेग़ज़ार-ए-बदन को सुर्खाब किया है दिल के समुंदर में अब उफ़नती है मोहब्बत की लहरें मेरे मौज-ए-कदम-ए-नाज़ को तुमने गिर्दाब किया है बिताने दो ये सरमस्ती सी चांदनी रातें अपने पहलू में तेरे बाग़-ए-आलम के सुर्ख गुलों को महताब किया है सजा दी है तुमने दिल की दिवारें अपने वफ़ा के रंगों में मेरी ज़ीस्त को तूने नफ़स नफ़स में सूफियाना किया है झूम जाएगी ये 'नेह' हर बहकते कैफ़ियत-ए-ख़्वाब में मोहब्बत के ख़्यालों को तूने थोड़ा मय-ए-नाब किया है ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1004 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।