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डर लगता है तुमको अपना कहने में, कही तुम भी मुझे स

डर लगता है तुमको अपना कहने में, 
कही तुम भी मुझे सबके जैसे छोड़ ना दो। 

गुस्सा तुमसे नही ना इन हालातो से
बस डर मुझे अपने अंदर छुपे उन ज़ज़्बातों से, 

तुमको बिना पाये ही खोने से डरती हूँ, 
कैसे कहु की ,हा मैं भी तुमसे उतना ही प्यार करती हूँ। 

पर डर जाती हूँ की कही तुम भी ना मुझे छोड़ जाओ, 
मेरे सपने ना तोड़ जाओ।

©unmukt sanjana #anjanadar#unmuktpoetry
#unmuktsanjana
डर लगता है तुमको अपना कहने में, 
कही तुम भी मुझे सबके जैसे छोड़ ना दो। 

गुस्सा तुमसे नही ना इन हालातो से
बस डर मुझे अपने अंदर छुपे उन ज़ज़्बातों से, 

तुमको बिना पाये ही खोने से डरती हूँ, 
कैसे कहु की ,हा मैं भी तुमसे उतना ही प्यार करती हूँ। 

पर डर जाती हूँ की कही तुम भी ना मुझे छोड़ जाओ, 
मेरे सपने ना तोड़ जाओ।

©unmukt sanjana #anjanadar#unmuktpoetry
#unmuktsanjana