बेचैनियों के समंदर में हिचकोले खाती यादों की लहर जान ही ले जाता है दूरियों में बसा खामोशियों का ये शहर न आये वो न लौटेंगे कभी ख्वाबों के उजड़े इस अंजुमन में जाने क्यों तन्हा खोया है फ़िक्र से इसक़दर भरी महफ़िल में बेचैनियों का समंदर