ऐ चाँद ऐ चाँद तु इतना हसीन फिर भी क्यों तनहा है आसमा की गोदी में| सितारे तो हैं तेरे आसपास फिर भी अकेला लगता है आसमा की गोदी में| दिन में तु क्यों नही निकलता,क्या तु भी डरता है मेरी तरहा उजा़लों में| यहाँ भी लोग हैं मेरे आसपास फिर भी मै जीता हुँ तनहा धरती की आँचल में| युँ तो सभी के साथ तु चलता है,क्या तेरे साथ कोई चलता है,कैसे कटता है सफर तनाही में| पुनम की रात में तेरा हसना,अमावस में रुठ जाना,समझ में नही आता ये रुप बदलना| क्या तु भी है मेरी तरहा दिवाना| ऐ चाँद