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1 - बद्ध कौन? 'बद्धो हि को यो विषयानुरागी' अकेल

1 - बद्ध कौन?
 
'बद्धो हि को यो विषयानुरागी'

अकेला साधु, शरीरपर केवल कौपीन और हाथमें एक तूंबीका जलपात्र। गौर वर्ण, उन्नत भाल, अवस्था तरुणाई को पार करके वार्धक्यकी देहली पर खडी। जटा बढायी नहीं गयी, बनायी नहीं गयी; किन्तु बन गयी है। कुछ श्वेत-कृष्ण-कपिश वर्ण मिले-जुले केश उलझ गये हैं परस्पर।

धूलिसे भरे चरण, कहीं दूरसे चलते आनेकी श्रान्ति। मुखकी घनी दाढ़ी पर भी कुछ धूलि के कण हैं। ललाटपर बडी-बडी श्वेदकी बूंदे झलमला आयी हैं। मध्याह्न होने को आया, साधुको अब विश्राम करना चाहिये।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

1 - बद्ध कौन? 'बद्धो हि को यो विषयानुरागी' अकेला साधु, शरीरपर केवल कौपीन और हाथमें एक तूंबीका जलपात्र। गौर वर्ण, उन्नत भाल, अवस्था तरुणाई को पार करके वार्धक्यकी देहली पर खडी। जटा बढायी नहीं गयी, बनायी नहीं गयी; किन्तु बन गयी है। कुछ श्वेत-कृष्ण-कपिश वर्ण मिले-जुले केश उलझ गये हैं परस्पर। धूलिसे भरे चरण, कहीं दूरसे चलते आनेकी श्रान्ति। मुखकी घनी दाढ़ी पर भी कुछ धूलि के कण हैं। ललाटपर बडी-बडी श्वेदकी बूंदे झलमला आयी हैं। मध्याह्न होने को आया, साधुको अब विश्राम करना चाहिये। #Books

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