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पुलिस से अपेक्षा,देवदूत सा हो अच्छा । पृथ्वी पर ही

पुलिस से अपेक्षा,देवदूत सा हो अच्छा ।
पृथ्वी पर ही जन्मा, मनुष्य ही जैसा।।
खतरों से जूझता, सुरक्षा करे सभी का। 
हर-पल हर-घड़ी ,नित-नयी अग्नि परीक्षा।।
सर्दी-गर्मी या बरसात ,दिन-रात करते हैं तपस्या ।
वातानुकूलित आफिस और बंगलों से होती हैं समीक्षा ।।
सुविधाएं जैसी ऊँट के मुँह में है जीरा।
भेदभाव तो ऐसी,जैसे अस्पृश्यता ।।
चरितार्थ है भैंस उसी की, डण्डा हो जिसका। 
समस्याएं सुनाओ, उपदेश देश- भक्ति जन-सेवा।।
कठिन वक्त में बना देते मसीहा। 
पुलिस है इंसान कब समझते ये मसीहा? 
आज के परिवेश में देखो, पुलिस की आवश्यकता। 
क्या संभव है बिना पुलिस जनता की व्यवस्था?
जरूरी है पुलिस को इंसान समझे जनता। 
पुलिस को सहयोग और सम्मान दे जनता।। 

***कुमार मनोज (नवीन) *** #पुलिसवाला#
पुलिस से अपेक्षा,देवदूत सा हो अच्छा ।
पृथ्वी पर ही जन्मा, मनुष्य ही जैसा।।
खतरों से जूझता, सुरक्षा करे सभी का। 
हर-पल हर-घड़ी ,नित-नयी अग्नि परीक्षा।।
सर्दी-गर्मी या बरसात ,दिन-रात करते हैं तपस्या ।
वातानुकूलित आफिस और बंगलों से होती हैं समीक्षा ।।
सुविधाएं जैसी ऊँट के मुँह में है जीरा।
भेदभाव तो ऐसी,जैसे अस्पृश्यता ।।
चरितार्थ है भैंस उसी की, डण्डा हो जिसका। 
समस्याएं सुनाओ, उपदेश देश- भक्ति जन-सेवा।।
कठिन वक्त में बना देते मसीहा। 
पुलिस है इंसान कब समझते ये मसीहा? 
आज के परिवेश में देखो, पुलिस की आवश्यकता। 
क्या संभव है बिना पुलिस जनता की व्यवस्था?
जरूरी है पुलिस को इंसान समझे जनता। 
पुलिस को सहयोग और सम्मान दे जनता।। 

***कुमार मनोज (नवीन) *** #पुलिसवाला#