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जिनकी स्मृतियों में शेष रह गये मेरे संग के दो-चार

जिनकी स्मृतियों में शेष रह गये
मेरे संग के दो-चार पल
वो वाक़िफ होंगे इस विचार से कि
मेरे कागज़ खेत मेरे और कलम है हल !

वो भावनाओं के बीज बोता है
मैं खाद डालता हूं भाषा, शिल्प व अलंकार की
और जब सींचता हूं स्याह स्याही से 
तब जाके स्फुटित होती है काव्य की छोटी सी कोंपल
बिल्कुल   उसके   स्पर्श   सी  एकदम  मृदुल  कोमल !! कलम व हल शायद एक ही काम करते हैं !

#कविताएँज़िंदारहतीहैं 
#life 
#love 
#yqbaba 
#yqdidi 
#yqhindi
जिनकी स्मृतियों में शेष रह गये
मेरे संग के दो-चार पल
वो वाक़िफ होंगे इस विचार से कि
मेरे कागज़ खेत मेरे और कलम है हल !

वो भावनाओं के बीज बोता है
मैं खाद डालता हूं भाषा, शिल्प व अलंकार की
और जब सींचता हूं स्याह स्याही से 
तब जाके स्फुटित होती है काव्य की छोटी सी कोंपल
बिल्कुल   उसके   स्पर्श   सी  एकदम  मृदुल  कोमल !! कलम व हल शायद एक ही काम करते हैं !

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