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किसी भी गड्डी को मे चलाता हूँ, पता नी सुकून तुम्ह

किसी भी गड्डी को मे चलाता हूँ, 
पता नी सुकून तुम्हे ही चला के आता है| 
आज भी अकेले जब मे निकल पड़ता हूँ,  
एहसास अभी भी बगल वाली सीट पर उसका ही आता है|

kaarni🙃 कुछ यादें हमेसा यादें बनके रह जाती है🙃
किसी भी गड्डी को मे चलाता हूँ, 
पता नी सुकून तुम्हे ही चला के आता है| 
आज भी अकेले जब मे निकल पड़ता हूँ,  
एहसास अभी भी बगल वाली सीट पर उसका ही आता है|

kaarni🙃 कुछ यादें हमेसा यादें बनके रह जाती है🙃
karansingh9371

kaarni 🙃

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कुछ यादें हमेसा यादें बनके रह जाती है🙃