किसी भी गड्डी को मे चलाता हूँ, पता नी सुकून तुम्हे ही चला के आता है| आज भी अकेले जब मे निकल पड़ता हूँ, एहसास अभी भी बगल वाली सीट पर उसका ही आता है| kaarni🙃 कुछ यादें हमेसा यादें बनके रह जाती है🙃