इश्क़ की राह है बहुत नई सी दिलबर। टेढ़-मेढ़े रास्ते दिलों के चलना है मग़र। हम जान हथेली पर लिए घूमते है सनम, रूठे रूठे से अपने और रहती है अनबन। डर है कहीं रूठ ना जाए अपने करम। बड़ी मुद्दतों से मिले हो मुझे इस जनम। कभी लगते हो ख्वाब से कभी लगते वहम। मैंने रब से ज्यादा ऐतबार किया है तुमपर, सोचा है तुम संग चलकर एक मंज़िल पाएँगे हर सुख दुःख में एक-दूजे का साथ निभाएँगे! तुमसे मेरा अभिमान है तुम ही हो मेरा अहम! सपनें को मेरे तुम सजाना पूरा करूँ मैं अपना वचन! सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 🌼आज का हमारा विषय "टेढ़े मेढ़े रास्ते दिलों के " बहुत ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को टॉपिक पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।