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बिन आज्ञा ईश के, विटप पात डोल न पाय। बिन आज्ञा मनु

बिन आज्ञा ईश के, विटप पात डोल न पाय।
बिन आज्ञा मनुज के, कोय परिभव करि न पाय।।
(छंद-सोरठा)

[*विटप-वृक्ष, *मनुज-मानव *परिभव-अपमान]

(कहनें का तात्पर्य यह है, कि जिस भाँति भगवान के इच्छा के बिना वृक्ष का एक पत्ता भी नहीं हिल सकता, ठीक उसी प्रकार बिना मनुष्य के आज्ञा के कोई उसका अपमान नहीं कर सकता।) 
-Rekha $harma #सोरठा #Nojoto
बस हमनें सोरठा लिखनें का प्रयास किया है, 
अगर इसमें त्रुटियाँ हों तो कृपया अवगत कराएं। आपके प्रतिक्रियाओं का सह्रदय स्वागत है।
बिन आज्ञा ईश के, विटप पात डोल न पाय।
बिन आज्ञा मनुज के, कोय परिभव करि न पाय।।
(छंद-सोरठा)

[*विटप-वृक्ष, *मनुज-मानव *परिभव-अपमान]

(कहनें का तात्पर्य यह है, कि जिस भाँति भगवान के इच्छा के बिना वृक्ष का एक पत्ता भी नहीं हिल सकता, ठीक उसी प्रकार बिना मनुष्य के आज्ञा के कोई उसका अपमान नहीं कर सकता।) 
-Rekha $harma #सोरठा #Nojoto
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